लोसर-बौद्ध-बौद्ध परम्परागत यह नव वर्ष का त्यौहार है। यह पूह क्षेत्र में मनाया जाता है। दिसंबर मास के अंत में मनाए जाने वाले इस त्यौहार को लामा लोग भी मानते हैं। इसमें गृह देवता के पास दीपक जलाया जाता है, आटे की कई प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। लोग दोपहर के पहले घर से नहीं निकलते। स्थानीय भाषा में इसे "लो शोमा टाशी" कहा जाता है। लामा और जोमो अर्थात भिक्षुणी दोनों मेले में नाचते हैं। तिब्बती भाषा में लोसर का मतलब ही नया वर्ष होता है। इस दिन प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा होती है कि वह वह शुभ शकुन देखें। इसलिए लोग उसी वयक्ति, जानवर व पक्षी को देखने का प्रयास करता है जिसके साथ शुभ जुड़ा हो।
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